Archive for अक्टूबर, 2006
ये खुदा है – 37
[ पाकिस्तान का पाकिस्तान पर हमला ]
बडा गज़ब हुआ, सुबह की चाय तो दूर दोपहर के खाने के लिए भी खुदा ने अपना दरवाज़ा नही खोला। ईद और दिपावली को गुज़रे एक सप्ताह हो गया मगर आज भी दरवाज़े के बाहर फकीरों का हजूम एक पर एक खडा है। खुदा से गरीबों का दुःख दर्द देखा नही जाता उसका दिल कमज़ोर है और ये बेचारे गरीब लोग आज भी यही समझते हैं कि खुदा के पास बहुत पैसा है हालांकि नोट छापने की मशीन तो इनसानों के पास है। जब से खुदा ज़मीन पर आया गरीब गरीब ही ठेहरा अमीर और ज़्यादा अमीर बन गया। खुदा को ना तो झोंपड़ों मे रात गुज़ारने का तजुर्बा है और ना ही लोकल ट्रेनों मे लटकने का। गरीब किसानों ने वर्षा के लिए जो दुआ मांगी थी और फिर पानी को ऐसा बरसाया कि पूरे के पूरे खेत ही उजड गए। गरीब की छत से टपकते पानी को भी इन्जोये करने का हुक्म दिया अगर बरदाश्त नही कर सकते तो किसी सिनेमा हाल जाकर नाइट शो देखने का फर्मान जारी कर दिया। गरीबों के पास खाने के लिए दो वक्त की रोटी नही मगर सारे जहां का दर्द “स्टार पल्स” दे दिया। खुदा ने चिल्लाते हुए कहाः आखिर विश्व से कब खतम होगी ये गरीबी? जितने गरीबों को मारो उतने ही पैदा होते जा रहे हैं। अमेरिका ने खुदा से वादा भी किया था कि बहुत ज्लद पूरे विश्व को गरीबी से पाक कर दिया जाएगा और गरीबों को फकीरी मे बदलते उलटा वो खुद कंगाल होने को है। जब शाम को चौकीदारी से लौट कर अमेरिका वापस आया तो खुदा ने पूछाः टोटल कितने भिकारियों को मारा? सलूट देते हुए अमेरिका ने खुदा को जवाब दियाः सरकार, रात का समां था और अँधेरे मे यूं महसूस हुआ जैसे पांच सौ तो ज़रूर मार दिए हैं। खुदा ने अमेरिका को कान के नीचे दो बजाए और आज का अखबार दिखायाः सिर्फ 90 भिकारी मरे हैं और बाकी 410 को क्या ज़मीन खा गई? सर झुका कर अमेरिका ने कहाः हमारा टार्गेट तो पांच सौ के ऊपर था, हमारे हेलीकाप्टर से एक रोटी क्या गिरी सभी फकीर आपस मे लड पडे। अमेरिका की सफाई सुन कर खुदा ने उसे शाबाशी दी, चलो कम से कम आपस मे तो लडवा दिया जिस से खुदा का खर्च बचा – हर दिन पचास फकीर भी मरें कोई बात नही आपस मे लडवाना ज़रूरी है – जारी
बाकी फिर कभी
ये भारत है जनाब !!!
क्या अजीब देश है हमारा, यहां कभी त्योहार खतम होने का नाम ही नही लेते कभी दीपावली की खरीदारी तो कभी रमज़ान की गहमा गहमी, कभी दशहरा तो कभी दुर्ग पूजा। पिछले चंद महीनों मे त्योहारों का जैसे एक सिलसिला चल रहा है। पहले तो पूरे भारत मे दशहरा की धूम धाम थी और लोगों ने रावन को जला कर चैन का सांस लिया ही था कि दिपावली और रमज़ान की तैयारियाँ और शुरू होगई।
रात के बारह बजते ही जहां पूरी दुनिया सोजाती है लेकिन इस वक्त रमज़ान और दिपावली के मौके पर पूरे भारत मे सवेरा हो जाता है – लोगों की चहल पहल की वजह से बाज़ारों मे रौनक लग जाती है। इस बार दिपावली के साथ रमज़ान का भी समाँ था, पूरे बाज़ार खरीदारी के लिए खचाखच भरे हुए, भारत मे इन त्योहारों के मौके पर कौन हिन्दू और कौन मुसलमान पहचानना मुश्किल है क्योंकि सभी भारतीयों का एक-दूसरे के त्योहारों मे आना-जाना और मुबारकबादी देना ज़रूरी है और तो और एक-दूसरे के घरों मे खाना भी खाते हैं और ये नज़ारा चंद नेता लोगों से हज़म नही होता, जैसे ही त्योहारों का मौसम खतम हुआ फिर दंगा फसाद शुरू करवा देते हैं – वाह क्या कल्चर है हमारा!
भारत कोई ऐसा वैसा देश नही जहां हिन्दू-मुसलमानों के बीच सिर्फ दंगे ही होते हैं – भारत के हिन्दू और मुसलमान अपस मे लडते ज़रूर हैं मगर एक दूसरे के बगैर रह भी नही सकते। वैसे तो मैं सिर्फ नाम का मुसलमान हूं और हर दिन मुसलमानों मे उठता बैठता हूं लेकिन अपने देश के कल्चर को ही अपना धर्म और भारत को अपनी मां सम्मान मानता हूं। मैं ने हमेशा से हिन्दू को हिन्दू नहीं बल्कि अपना भाई माना है हालांकि दंगों के वक्त अपने हिन्दू भाईयों से मार भी खा चुका हूं। खैर दंगे फसाद के मौके पर कौन क्या है दिखाई नही देता और ये दंगा फसाद तो हमारे देश मे रोज़ का मामूल है, फसाद किसी भी टाइप का हो मगर भुगतने वाला कोई, पकडा जाने वाला कोई, मरने वाला कोई लेकिन फसाद मचाने वाला आज़ाद – नेता लोग को कौन पकडे? जबकि पकडने, मारने और फसाद मचाने का आर्डर तो वही देते हैं।
यहां दुबई मे कहने को बहुत सारे दोस्त हैं मगर अपना जो सच्चा दोस्त है वो एक हिन्दू है, ज़रूरतों पर काम आने वाला, खुशी और दुःख मे साथ देने वाला हालांकि वो अभी तक मुझे मुसलमान ही समझता है फिर भी अपनी सच्ची दोस्ती निभाता है। हम पिछले चार वर्षों से साथ हैं लेकिन आज तक उस ने मुझ से ये नही पूछा कि दूसरे मुसलमानों की तरह तू नमाज़ क्यों नही पढता? जबकि मैं ने उस से पूछ डाला तू पूजा पाठ क्यों नही करता? उसने जवाब दियाः “हालांकि मेरे माता-पिता हिन्दू हैं और पूजा भी करते हैं लेकिन जब से मैं ने दुनिया देखा धर्म पर से विश्वास उठ गया। ये सारे लोग झूठे हैं जो सुबह शाम राम अल्लाह का नाम लेते हैं और छुप कर गलत काम भी करते हैं लेकिन मैं राम अल्लाह का नाम नही लेता सिर्फ अपने दिल की सुनता हूं जो बुरा लगे वो बुरा और जो अच्छा लगे वो अच्छा।” अपने इस दोस्त के विचार जान कर मुझे बहुत खुशी हुई, पहली बार मुझे अपने विचारों जैसा अपने ही देश का ये मित्र मिला, मैं ने अपनी किस्मत का शुक्र अदा किया। आज अपने देश मे ऐसे बहुत सारे नौजवान हैं जो अपने धर्म मे पाबंदियों की वजह से तंग आचुके वो खुल कर जीना चाहते हैं लेकिन अपने माता-पिता की इज़्ज़त के लिए आवाज़ नही उठाते। ऐसे आज़ाद विचार वाले भी अपने मां बाप से डरते हैं और उनकी इज़्ज़त करते हैं, ऐसा प्यारा परिवार भारत के अलावा और कहां मिलेगा? ये कैसा अजीब देश है हमारा, जैसा भी हो वो हमें प्यारा।
इस लेख मे कुछ खास बात नही है, लेकिन ये लेख अपने इस मित्र के नाम लिख रहा हूं जो चार वर्ष साथ रहने के बाद उसके विचारों को पहली बार जान कर मुझे सच्ची खुशी मिली।
ये खुदा है – 36
[ ईद का भाषण ]
बिल गेट्स ने जब नया विस्टा दिखाया तो खुदा की समझ मे कुछ ना आया। आज न्यूयार्क शहर मे सब की नज़रें बुर्खा पोश नारियों पर टिकी रहीं, किसी ने अफवाह फैलादी कि खुदा बुर्खा पहन कर शहर मे घूम रहा है। शाम को सरकारी न्यूज़ चैनल पर अनाऊँस करवायाः अफ़वाहों पर ध्यान ना दें, खुदा बुर्खा मे नहीं बल्कि पनामा की एक बस मे पटाखे ले जाते हुए धमाका मचा दिया। दूसरे दिन ईद के मैदान मे खुदा ने अपना भाषण शुरू किया और वही पुरानी बातें दुहराने की कोशिश की जो मुल्ला साहिबान पहले बता चुके थे। ईदगाह से बाहर हज़ारों गरीब और फकीर लोग खुदा की एक झलक देखने के लिए G8 वालों से झगडा कर रहे थे वहीं परदे के पीछे अफगानी तालिबान डंडे ले कर खुदा के फरिश्तों को पीट रहे थे कि उस वक्त मदद को क्यों नही आए जब अमेरिका ने हम पर हमला किया था? तभी ईद के मैदान मे ज़बरदस्त हलचल मच गई जब खुदा ने अपने भाषण मे अचानक अमेरिका की तारीफ करडाली। जापान ने वाक आऊट किया तो इन्डोनेशिया भी गुस्से मे मैदान छोड बाहर निकल आया। खुदा के भाषण की बे हुर्मती, दोनों देशों को एक बार फिर भूकंप से हिलाडा। खुदा का गुस्सा देख उ.कोरिया ने तौबा करली और वादा किया कि आइंदा से सिर्फ छोटे पटाखे जलाएगा। खुदा ने अपना भाषण जारी रखाः भारत मे एक की बजाए दो ईदें अजीब बात है, चंद लोगों को आज चांद दिखाई दिया तो बाकीयों को कल दिखाई देता है जब्कि हम ने एक ही चांद बनाया था। सऔदी अरब ने खुदा का शुक्र अदा किया कि हमें चांद तो नज़र ना आया मगर ईद करडाली अब तो खुले आम दबाके खाएंगे क्योंकि बगैर चांद देखे रमज़ान की छुट्टी करडाली। मुशर्रफ भी खडे होकर कहने लगेः हम तो चांद देख कर ही ईद मनाएंगे अगर से वो वर्षों बाद भी दिखाई दे। फिर मुशर्रफ ने खुदा को दावत भी दिया कि ईद हमारे साथ पाकिस्तान मे मनाएं तो खुदा ने तौबा करली क्योंकि पाकिस्तान मे उसकी सिक्यूरिटी का कोई इनतेज़ाम ही नही और मुमकिन है खुदा को पाने के चक्कर मे शिया-सुन्नी झगडा कर बैठें। जब आखिर मे इबादत का वक्त आया तो अमेरिका ने बुलंद बांग अज़ाँ कहीः सारे जहां का मालिक खुदा है मगर वो अमेरिका के कब्ज़े मे है — जारी
बाकी फिर कभी
छुट्टियों का चांद
ईद के लिए यहां दो दिन मिलने वाली छुट्टियों मे हम चंद दोस्त किराए की कारें ले कर शहर से दूर घूमने चले जाते हैं। इस बार हमारा रूम्मेट बिदप्पा (मैसूर से) ने एक सेकंड कार खरीद ली है, मगर वो हमेशा सिर्फ लडकियों को घुमाते रहता है। मैं ने उससे कह दिया इस बार ईद की छुट्टियों मे हमें अपनी कार मे घुमाने ले जाए शहर से कहीं दूर जहां शोर ना हो – वो बहुत मुश्किल से माना क्योंकि उसका प्लान दो दिन लडकियों के साथ मज़े करने का था। किराए की कारों से अच्छा है अपने दोस्त की कार हो और वो भी साथ हो तो घूमने मे बहुत मज़ा आता है।
वैसे शहर मे बहुत सारी घूमने की जगहें हैं मगर दिल और दिमाग को आराम के लिए शहर से दूर जाकर घूमना अच्छा है। यहां हम परदेसियों को वर्ष मे सिर्फ यही दो दिन मिलते हैं, वरना हर दिन वही साइकिल की तरह सुबह से शाम तक आँफिस फिर शाम को घर मे – वैसे सप्ताह मे एक दिन छुट्टी होती ही है जिसमे कपडे धोने और कुछ खरीदारी करने मे पूरा दिन लग जाता है। हमारे लिए ये दो दिन छुट्टी के गनीमत हैं, ऐसा महसूस होता है जैसे पूरे साल भर की थकान इन दो दिनों मे उतारली 🙂 यहां ईद मनाने के लिए चांद देखते हैं मगर ये हमारे लिए छुट्टियों का चांद है 🙂
दिवाली की मुबारकबाद
कल जब ये तीनों चिट्ठे गिरिराज जोशी, समीर जी और फुरसतिया जी को पढा तो कुछ भी समझ नही आया जैसे कोड वर्ड मे बात चीत हो रही है 😉 अपना छोटा दिमाग है बडी बातें नहीं घुसतीं 😉 सुबह दफ्तर मे कुछ काम करलेने के बाद नारद और चिट्ठाचर्चा को सलाम करता हूं जिसके बगैर जैसे पूरा दिन अधूरा है। मगर ये हिन्दी चिट्ठे जो ब्लॉगस्पाट पर हैं, मैं वो सब चिट्ठे पढ तो सकता हूं लेकिन मेरी मजबूरी है कि उन पर टिप्पणी लिख नही सकता सिर्फ वर्ड प्रेस डाट कॉम वाले चिट्ठों को टिप्पणी दे सकता हूं। जहां तक हो सका मैं ने बहुत सारे हिन्दी चिट्ठाकारों को दिवाली की मुबारकबाद दिया, फिर भी उन लोगों के लिए जिन का चिट्ठा ब्लॉगस्पाट पर है, मैं अपनी इस पोस्ट के से सभी हिन्दी चिट्ठाकारों को दिवाली की शुभकामनाएँ और मुबारकबाद पेश करता हूं।
ये खुदा है – 35
[ ईद का चांद ]
अमेरिका ने खुदा के आगे चीन देश पर मुकद्दमा ठोंका कि वो चांद पर खुल्लम खुल्ला फ्लैट बेच रहा है, वो दिन दूर नही जब पूरे चांद पर चीन अपना कब्ज़ा जमाले। फिर पता नही उन लोगों का क्या होगा जो चांद को पूजते हैं, बगैर चांद के रमज़ान कैसे बिताएँ और ईद क्या खसाबों की शकल देख कर मनाएं? अचानक खुदा के आंसू निकल पडे, वो बिलक कर रोने लगा। जब भारत ने अगे बढ कर वजह पूछी तो खुदा ने रोते हुए आज का अखबार दिखायाः श्रीलंका मे दर्जनों फौजी जवान मारे गए, इन का कसूर क्या है यही के पिछले दिनों इनही फौज ने एलटीटीई वालों को मारा था? आखिर ये कब तक चलेगा, ज़मीन के एक छोटे से टुकडे के लिए इनसान एक-दूसरे के खून का प्यासा – इन को सोनामी से डराया भी मगर ये इनसान सुधरना तो दूर खुद खुदा को ही सुधार देंगे। खुदा को यूं ही नहाने की सूझी, लंका समुद्र किनारे छलांग मारने ही वाला था जिस से एक ज़बरदस्त सोनामी मचलने को थी अचानक मुशर्रफ सर खुजाते सवालों की एक बोरी लाकर खुदा के आगे रख दियाः पचास वर्ष हो गए हमारे देश मे आज भी ईद के चांद पर झगडा खतम नही हुआ – किसी को दिखता है और किसी को नही। ऐसी कोई बात नही के सभी पाकिस्तानी ईद के चांद से लगऊ रखते हैं, बात दरअसल ये है कि ईद का चांद नज़र आजाए तो दो दिन की छुट्टी मिलेगी। सिर्फ पाकिस्तान ही मे नही बल्कि दुनिया भर के मुसलमान आज भी ईद के चांद को ले कर झगडा करते हैं कि ईद आज मनाएं या कल? ब्राए मेहरबानी इसका कोई उपाय बताएं। खुदा ने अपनी सादगी से जवाब दियाः चांद नज़र आए या नही हर दिन ईद मनाएं – खुशी का मतलब ईद है और हर दिन ईद हो ताकि दूसरों पर उंगली उठाने का टाइम ना मिले। उधर जापान के नए प्रधान मन्त्री ने अमेरिका को वारनिंग लिख भेजाः बस बहुत हो गया जब से खुदा ज़मीन पर आया, अभी तक अमेरिका से बाहर नही निकला – अगर अमेरिका ने खुदा को आज़ाद नही किया, वरना हम खुद मुखतलिफ किस्म के खुदा बना कर सब को बेचेंगे। इस बात पर उ.कोरिया, रशय और जर्मनी ने भी जापान की होसलाअफज़ाई करडाली, वो दिन दूर नही जब हर देश का अपना खुदा होगा। जब तक खुदा आसमानों मे उडता रहा, उसे दुनिया की खबर नही और जिस दिन से अमेरिका मे मेहमान बना, उसकी नियत कुछ ठीक नही अब स्वर्ग भी अमेरिका मे बनाने का इरादा कर लिया। बाकी दुनिया बेकरार है कि खुदा की एक झलक देखले, पता नही उसकी शकल किस से मिलती है? मगर अमेरिका खुश है कि सबसे असली खुदा उसकी अपनी कैद मे है, अमेरिका ने खुद कहाः खुदा का शुक्र है कि वो हमारी कैद मे है। जब खुदा ज़मीन पर आया तो उसकी गारंटी लेने वाला अमेरिका के सिवा दूसरा कोई देश आगे नही आया और आज अमेरिका पर उँगलियॉ उठ रही हैं कि वो खुदा की शक्ति का गलत इसतेमाल कर रहा है, अगर यूं ही गरीब देशों को कुचलता फिरे तो एक दिन खुदा की पूरी शक्ति खतम होजाएगी और फिर अमेरिका खुद को खुदा समझ बैठेगा। कई बार खुदा ने खुद कहाः हमें अमेरिका ही मे रहना पसंद है क्योंकि ये हर किस्म के धर्मों से पाक है और हमें दूसरे देशों मे जाने को डर लगता है क्योंकि हमारा कोई धर्म नही, अगर कोई हमसे हमारा धर्म पूछे तो क्या जवाब दें। फिर एक बार खुदा ने बडे गज़बनाक अंदाज़ मे फरमायाः खुदा को खुदा की कसम, लानत है उस पर जो अमेरिका को सुपर पावर नही मानता। जापान ने अपने दोनों हाथ अमेरिका की तरफ उठा कर कहाः खुदा को उसकी शक्ति की कसम, क्यों अपना टाइम अमेरिका मे खराब कर रहा है – काश खुदा अगर जापान का मेहमान होता तो आज अपने हमशकल खुदाऊँ को देख कर बहुत खुशी मनाता — जारी
बाकी फिर कभी
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